कोरोना खत्म नहीं हुआ कि आ गया उसके जैसा खतरनाक नया रोग, वैज्ञानिकों ने किया आगाह

कोरोना खत्म नहीं हुआ कि आ गया उसके जैसा खतरनाक नया रोग, वैज्ञानिकों ने किया आगाह

सेहतराग टीम

आज के समय में कई तरह की परेशानियां होती हैं जिसकी वजह से लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं। वहीं आज के समय कोरोना वायरस जैसी महामारी से पूरी दुनिया जूझ रही है। लोग इससे बचने के लिए तरह-तरह के प्रावधान अपना रहे हैं। उसके बावजूद भी उन्हें इस खतरनाक बीमारी से छुटकारा नहीं मिल रहा है। हालांकि, कोरोना को मात देने के लिए कई तरह की वैक्सीन बनकर तैयार हैं और लोगों को इनके टीके दिए जा रहे हैं ताकि लोगों को इस वायरस से बचाया जा सके। लेकिन इन सबके बीच एक ऐसा फंगस सामने आया है, जिससे वैज्ञानिक तक डरे हुए हैं। डर इसलिए भी क्योंकि कहा जा रहा है कि ये कोरोना से भी ज्यादा तबाही मचा सकता है। तो चलिए जानते हैं इस बारे में।

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दरअसल, कोरोना वायरस महामारी के बाद जिस फंगस से वैज्ञानिक भी डरा हुआ महसूस कर रहे हैं, उसका नाम है 'कैंडिला ऑरिस।' ये फंगस ब्लैक प्लेग फैलने की वजह से बन सकता है और इसे काफी खतरनाक माना जा रहा है। वैज्ञानिक मानते हैं कि ये कैंडिला ऑरिस फंगस इतना खतरनाक है कि ये कोरोना वायरस से भी बड़ी महामारी लाने में सक्षम है, क्योंकि ये बड़ी ही तेजी से फैल रहा है। ऐसे में वैज्ञानिकों द्वारा कही जा रही ये बात सभी के लिए काफी चिंता का विषय है, क्योंकि पहले से कोरोना की मर झेल रही दुनिया के लिए ये अच्छे संकेत बिल्कुल नहीं है।

 डिजीज कंट्रोल एंड प्रेवेंशन सेंटर के वैज्ञानिकों ने बताया कि कैंडिला ऑरिस अपने आप को बेहतर कर रहा है और यही नहीं इसके साथ ही ये अधिकतर एंटीफंगल दवाओं को भी बेअसर कर दे रहा है। सीडीसी से जुड़े वैज्ञानिकों ने बताया कि ये फंगस अस्पतालों में फैल गया तो फिर ये बेहद खतरनाक हो जाएगा। गौरतलब, है कि अस्पतालों में मरीजों की काफी संख्या होती है जो पहले से किसी ने किसी बीमारी से जूझ रहे होते हैं। ऐसे में इस फंगस का अस्पताल में फैलाने का मतलब है कि स्थिति का और भयावह होना।

साल 2009 में शोधकर्ताओं ने जापान में C.auris की खोज की थी। C.auris नाम लेटिन भाषा का शब्द है। ये संक्रमण शरीर में कई जगहों पर हो सकता है। आमतौर पर इस फंगस के मरीजों को एंटीफंगल दवाओं से ठीक किया जाता रहा है। इस बीमारी का मुख्य कारण प्राकृतिक चीजों का अभास या फिर जलवायु परिवर्तन भी हो सकता है। ऐसे में हमें जरूरत है कि वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधार जाए, क्योंकि कोरोना ने ये बात तो साफ कर दी कि अस्पतालों की व्यवस्था मौजूदा समय में कैसी है और भविष्य में कैसी होनी चाहिए।

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